Dr komal behl
Time matters a lot- Ayurveda- Balancing Tridosha
You do exercise, follow a proper diet chart to remain healthy. All these efforts are appreciable but what if we modify our life style , eating habbits and diet according to season.
Time matters a lot !!
Ayurveda says about Tridosha ,means there are 3 doshas that is vata, pitta and kapha . Vata regulates our nervous system, pitta works for our digestive systema and Kapha is meant for respiratory system. Rotation of earth also rotates the prominency of these doshas.
As the season changes like from November to February when the air is cold and dry ,vata dosha becomes prominent in the environment. We focus on keeping it in balance by adapting diet and life style suitable for vata dosha.
Similarly from July to October when weather is hot , pitta becomes prominent and from March to June when its cold and wet, kapha accumulates in the air.
Adapting routine according to doshas will keep your body physiologically in equillibrium and maintains your immunity strong to deal with any disease.
Here in this blog , I will mention a particular diet for the concerned dosha and season.
Vata dosha ( November to February)
The basic rule for vata diet :
1. Food should be warmed and cooked rather than raw.
2. Favorable tastes are sweet,sour and salty
3.avoid eating cold and dry food
4.Avoid caffeine as it aggravates vata dosha.
Food that suits you best in vata season ( November to February)
Grain- wheat, rice (boiled and old)
Cereals - black gram, green gram and season
Vegetable- radish, carrot, beet root ,onion , bottle gourd, ash gourd, garlic etc
Spices - garlic ,pepper, mustard, fenugreek, cinnamon, cumin ,asafoetida.
Fruits - mango (ripe), papaya, orange, pineapple, apple, banana, grapes, coconut, pomegranate, guava etc.
Oil- sesame oil, mustard oil, coconut oil
Milk and milk products - cow milk ,Buffalo milk, butter, ghee ,cream, cheese, curd(take care if you have any cardiac issues)
Pitta dosha (July to october)
Liver
Liver is the seat of pitta dosha. Balancing liver means balancing pitta dosha.
Liver is composed of 5 types of agnis(digestive fire) that corresponds to 5 elements such as earth, fire, water,air ,space , each specializing a particular element in food.
These 5 Agni must be in balance for proper absorption and digestion of food. If these digestive fires are out of balance then there will not be proper digestion and absorption and toxins enter the blood resulting in pitta related skin and blood diseases like acne, hair fall etc.
You need to adopt some changes to take are of your liver.
1. Eat slowly with peaceful mind with an attitude of thankfulness.
2. Avoid late night eating
3.Avoid fatty food, salty nuts.
4. Drinking sugarcane juice 2- 3 times a week (take care if you are diabetic)
Liver cleansing
1.Vitamin B is very helpful in detoxification of liver. Consumption of whole grain is good for you.
2.Vitamin C is good for your liver and Amla is best choice.
Food that suits you best :
1.Lots of salad , raw vegetables and fresh fruits.
2. Alcohol and smoking are two pitta aggravating factors, these should be strictly avoided.
3. Choose cool or warm food but it should not be very hot.
4. Avoid sour foods like pickles, yogurt, cheese.
5. Use lime water instead of ginger.
Grains - wheat, old rice , millets , maize
Cereals - green grams ,sesame
Vegetable- drumstick, cabbage, bitter gourd, potato, cucumber, spinach, mushroom,
cauliflower.
Spices - long pepper, clove, corainder
Fruits - mango, apple, banana, grapes, jack fruit dates.
Milk and milk products- cow and Buffalo milk ,butter ,ghee , cream.
Kapha dosha ( March to June)
Basic rules for kapha diet
1. Choose food that is bitter and spicy
2. Warm food is more favorable.
3. Avoid sugar, use honey as sweetner
4. Avoid diary and fried foods
5. Do not munch in between meals.
6. Walk after meal, do not rest or sleep
7. Drink fewer liquids during meal, especially avoiding cold drinks.
Food for you
Grains - corn, barley, rice(boiled/ old), millet.
Cereal- green gram, chick pea, peanut, horse gram
Vegetable- drumstick, bitter gourd , tomato bottle gourd ,carrot ,cucumber, cauliflower, garlic.
Spices - ginger, pepper, long pepper, mustard , fenugreek,clive ,cinnamon, cardamom, red and green chillies, coriander.
Fruits - pineapple, lemon, pomegranate, cashew , gooseberry.
Adapting above routine according to change in season will keep you away from illness or if any how you become ill then recovery will be very fast. So plan your diet according to season and be healthy.
डॉ। कोमल बहल
समय बहुत मायने रखता है- आयुर्वेद- त्रिदोष का संतुलन
आप व्यायाम करते हैं, स्वस्थ रहने के लिए उचित आहार चार्ट का पालन करें। ये सभी प्रयास सराहनीय हैं लेकिन क्या हो अगर हम अपनी जीवन शैली में बदलाव करें, मौसम के अनुसार भोजन और आहार खाएं।
समय बहुत मायने रखता है !!
त्रिदोष के बारे में आयुर्वेद कहता है, इसका मतलब 3 दोष हैं जो वात, पित्त और कफ हैं। वात हमारे तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है, पित्त हमारे पाचन तंत्र के लिए काम करता है और कपा श्वसन तंत्र के लिए होता है। पृथ्वी का घूमना भी इन दोषों की प्रमुखता को घुमाता है।
नवंबर से फरवरी तक जैसे ही मौसम बदलता है जब हवा ठंडी और शुष्क होती है, वात दोष वातावरण में प्रमुख हो जाता है। हम वात दोष के लिए उपयुक्त आहार और जीवन शैली को अपनाकर इसे संतुलन में रखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
इसी तरह जुलाई से अक्टूबर तक जब मौसम गर्म होता है, पित्त प्रमुख हो जाता है और मार्च से जून तक जब इसकी ठंडी और गीली हवा में कफ जमा हो जाता है।
दोशों के अनुसार दिनचर्या अपनाने से आपके शरीर में शारीरिक रूप से संतुलन बना रहेगा और किसी भी बीमारी से निपटने के लिए आपकी प्रतिरक्षा मजबूत बनी रहेगी।
यहां इस ब्लॉग में, मैं संबंधित डोसा और सीज़न के लिए एक विशेष आहार का उल्लेख करूंगा।
वात दोष (नवंबर से फरवरी)
वात आहार के लिए मूल नियम:
1. भोजन को कच्चे की बजाय गर्म और पकाया जाना चाहिए।
2. अनुकूल स्वाद मीठा, खट्टा और नमकीन होता है
3. ठंडा और सूखा खाना खाने से बचें
4.Avoid कैफीन क्योंकि यह वात दोष को बढ़ाता है।
भोजन जो आपको वात मौसम में सबसे अच्छा लगता है (नवंबर से फरवरी)
अनाज- गेहूं, चावल (उबला हुआ और पुराना)
अनाज - काला चना, हरा चना और मौसम
सब्जी- मूली, गाजर, चुकंदर की जड़, प्याज, बोतल लौकी, लौकी, लहसुन आदि
मसाले - लहसुन, काली मिर्च, सरसों, मेथी, दालचीनी, जीरा, हींग।
फल - आम (पका हुआ), पपीता, संतरा, अनानास, सेब, केला, अंगूर, नारियल, अनार, अमरूद आदि।
तेल- तिल का तेल, सरसों का तेल, नारियल का तेल
दूध और दूध से बने उत्पाद - गाय का दूध, भैंस का दूध, मक्खन, घी, मलाई, पनीर, दही (अगर आपको कोई हृदय संबंधी समस्या है)
पित्त दोष (जुलाई से अक्टूबर)
जिगर
लीवर पित्त दोष की सीट है। लिवर को संतुलित करने का अर्थ है पित्त दोष को संतुलित करना।
लीवर 5 प्रकार की अग्नि (पाचन अग्नि) से बना होता है, जो पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, अंतरिक्ष जैसे 5 तत्वों से मेल खाती है, प्रत्येक भोजन में एक विशेष तत्व है।
भोजन के उचित अवशोषण और पाचन के लिए इन 5 अग्नि का संतुलन होना चाहिए। यदि ये पाचन आग संतुलन से बाहर हो जाती हैं, तो उचित पाचन नहीं होता है और अवशोषण और विषाक्त पदार्थ रक्त में प्रवेश करते हैं जिसके परिणामस्वरूप पित्त संबंधी त्वचा और रक्त रोग जैसे मुँहासे, बाल झड़ना आदि होते हैं।
आपको अपने जिगर के लिए कुछ बदलाव अपनाने की आवश्यकता है।
1. शांत चित्त से धीरे-धीरे धन्यवाद के दृष्टिकोण से भोजन करें।
2. देर रात खाने से बचें
3. वसायुक्त भोजन, नमकीन नट्स।
4. सप्ताह में 2- 3 बार गन्ने का रस पीना (मधुमेह होने पर ध्यान रखना)
लीवर की सफाई
1. विटमिन बी लिवर के डिटॉक्सिफिकेशन में बहुत मददगार होता है। साबुत अनाज का सेवन आपके लिए अच्छा है।
2. विटमिन सी आपके लिवर के लिए अच्छा है और आंवला सबसे अच्छा विकल्प है।
भोजन जो आपको सबसे अच्छा लगता है:
1. सलाद, कच्ची सब्जियां और ताजे फल।
2. अल्कोहल और धूम्रपान दो पित्त की वृद्धि कारक हैं, इन से सख्ती से बचा जाना चाहिए।
3. ठंडा या गर्म भोजन चुनें लेकिन यह बहुत गर्म नहीं होना चाहिए।
4. अचार, दही, पनीर जैसे खट्टे पदार्थों से बचें।
5. अदरक की जगह चूने के पानी का इस्तेमाल करें।
अनाज - गेहूं, पुराने चावल, बाजरा, मक्का
अनाज - हरा चना, तिल
सब्जी- ड्रमस्टिक, गोभी, करेला, आलू, ककड़ी, पालक, मशरूम,
गोभी।
मसाले - लंबी काली मिर्च, लौंग, धनिया
फल - आम, सेब, केला, अंगूर, जैक फ्रूट खजूर।
दुग्ध और दुग्ध उत्पाद- गाय और भैंस का दूध, मक्खन, घी, मलाई।
कपा दोशा (मार्च से जून)
कपा आहार के लिए बुनियादी नियम
1. ऐसा भोजन चुनें जो कड़वा और मसालेदार हो
2. गर्म भोजन अधिक अनुकूल है।
3. चीनी से परहेज करें, शहद का उपयोग स्वीटनर के रूप में करें
4. डायरी और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें
5. भोजन के बीच में भोजन न करें।
6. भोजन के बाद टहलें, आराम न करें या सोएं
7. भोजन के दौरान कम तरल पदार्थ पिएं, खासकर कोल्ड ड्रिंक से परहेज करें।
आपके लिए खाना
अनाज - मक्का, जौ, चावल (उबला हुआ / पुराना), बाजरा।
अनाज- हरा चना, चना मटर, मूंगफली, घोड़ा चना
सब्जी- ड्रमस्टिक, करेला, टमाटर की बोतल लौकी, गाजर, ककड़ी, फूलगोभी, लहसुन।
मसाले - अदरक, काली मिर्च, लंबी मिर्च, सरसों, मेथी, क्लाइव, दालचीनी, इलायची, लाल और हरी मिर्च, धनिया।
फल - अनानास, नींबू, अनार, काजू, आंवला।
मौसम में बदलाव के अनुसार दिनचर्या से ऊपर उठने से आप बीमारी से दूर रहेंगे या यदि आप बीमार हो गए तो रिकवरी बहुत तेजी से होगी। इसलिए मौसम के अनुसार अपने आहार की योजना बनाएं और स्वस्थ रहें।
Chemotherapy often leads to decrease in white blood cells also called neutopenia due to which patient has to suffer through various common infections. High grade fever, diarrhoea, vomiting after chemo administration often land the patient into dehydration and iv fluids becomes the requirement of the day. Shadang paniya is an ayurvedic decoction of 6 Ayurvedic herbs as the name says water prepared with 6 herbs has been found very effective in this condition. It's an authentic ayurvedic formulation found in Classical Ayurvedic books. 6 herbs : Mustak, usher,chandan, parpat, nagar(ginger), udeechya How to prepare Take above herbs in equal part in powder form , mix them all and put the powder in a glass jar. Take 1 tsp out of that powder and put in 400ml water. Boil the water till it remains half. It's ready to drink. In case of fever, you can drink after every 2 hours, 30 to 40ml. It will normalize the fever preventing dehydration due to fever,vomiting and diarrhoea.
Wow that's really amazing ✨
ReplyDeleteVery good information
ReplyDeleteVery good information
ReplyDeleteNice and keep it up
ReplyDeleteWorth reading 📚 👌
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